माध्यमिक शिक्षा आयोग / मुदालियर आयोग PPT. kexam.
माध्यमिक शिक्षा आयोग / मुदालियर आयोग
माध्यमिक शिक्षा आयोग / मुदालियर आयोग
केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की १४ वी बैठक १९४८ में हुई।
जिसमे तात्कालिक माध्यमिक शिक्षा पद्धति में सुधार और उसकी जांच करने वाली समिति नियुक्त करने का सुझाव दिया।
जनवरी १९५१ में बोर्ड ने पुनः अपनी मांग को दोहराया।
२३ सितम्बर १९५२ को माध्यमिक शिक्षा आयोग की नियुक्ति हुई।
आयोग के सदस्य
डॉ. लक्ष्मण स्वामी मुदालियर (अध्यक्ष्य)
डॉ. कालू लाल माली
श्री मती हंसा मेहता
डॉ. केनेथ रस्ट विलियम
जॉन क्रिस्ती
श्री के. जी. सैयदेन
श्री जे . ए. तारापुरवाला
श्री एम. टी.व्यास
डॉ. ए. एन. बसु
आयोग के उद्देश्य / कार्य क्षेत्र
माध्यमिक शिक्षा का निरिक्षण करना।
शिक्षा में सुधर हेतु सुझाव देना।
आयोग की सिफारिशें
१, उद्देश्य:
नागरिकों को ऐसी शिक्षा मिले जो उनमे अनुकूल भावनाओं , आचरण का विकाश करे।
नागरिकों में राष्ट्रीय एवं धर्म निरपेक्ष दृश्टिकोण उत्पन्न हो सके।
नागरिकों की व्यवसायिक कुशलता में वृद्धि हो सकें।
नागरिकों का सर्वांगिण विकाश कर सकें।
२. माध्यमिक शिक्षा का पुनर्गठन
शिक्षा की अवधी ७ वर्ष (११ से १७ वर्ष ) - ३ वर्ष जूनियर शिक्षा + ४ वर्ष उच्चतर माध्यमिक शिक्षा।
डिग्री कोर्स ३ वर्ष का हो।
ग्रामीण विश्वविद्यालयों में कृषि शिक्षा।
अंधे बधीर और मूक व्यकितियों की शिक्षा का विशेष प्रबन्ध।
लड़कियों के लिए गृह विज्ञानं की शिक्षा।
सरकार उद्दोग पर उद्दोग कर लगाए जिस से धन प्राप्त कर technical शिक्षा में लगाया जाये।
आयोग की सिफारिशें
३. शिक्षा का माध्यम।
४. पाठ्यक्रम।
५. शिक्षण विधियाँ।
आयोग की सिफारिशें
६. पाठ्य पुस्तकें।
७. धार्मिक शिक्षा।
८. चरित्र निर्माण की शिक्षा।
पाठ्यसहगामी क्रियाओं का आयोजन होना चाहिए।
१७ वर्ष तक की आयु के बच्चों को राजनीति से दूर रखना।
NCC, NSS, first AID, आदि की व्यस्था की जानी चाहिए।
आयोग की सिफारिशें
९. मार्गदर्शन और परामर्श।
१०. परीक्षाएं एवं मूल्यांकन।
अध्यापकों की स्थिति सुधार सम्बन्धी
२ तरह की प्रशिक्षण संस्थाएं होनी चाहिए- उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों हेतु (२ वर्ष ) और स्नातक व्यक्तियों हेतु (१ वर्ष)।
छात्र अध्यापकों से शुल्क न लिया जाये व छात्र वृत्ति दी जाये।
अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षण हेतु पूर्ण वेतन व अवकाश मिलना चाहिए।
आयोग की समीक्षा
गुण
शिक्षा व समाज के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास।
बहु उद्देश्य विद्यालयों से शिक्षा को व्याहारिक दिशा प्रदान करना।
अध्यापक राष्ट्र निर्माता होता है, यह मानकर अनेक सुविधाएं देकर महान प्रयास किया जाये।
छात्र वृत्ति दिया जाए और कोई शुल्क न लिया जाये।
दोष
रिपोर्ट में सामुदायिक कुप्रथाओ और बुराइयों का संकेत तक नहीं दिया गया।
जैसे : बाल विवाह, स्त्री शिक्षा
रामअनन्त यादव पर्यवेक्षक डॉ, सुनील कुमार
केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की १४ वी बैठक १९४८ में हुई।
जिसमे तात्कालिक माध्यमिक शिक्षा पद्धति में सुधार और उसकी जांच करने वाली समिति नियुक्त करने का सुझाव दिया।
जनवरी १९५१ में बोर्ड ने पुनः अपनी मांग को दोहराया।
२३ सितम्बर १९५२ को माध्यमिक शिक्षा आयोग की नियुक्ति हुई।
आयोग के सदस्य
डॉ. लक्ष्मण स्वामी मुदालियर (अध्यक्ष्य)
डॉ. कालू लाल माली
श्री मती हंसा मेहता
डॉ. केनेथ रस्ट विलियम
जॉन क्रिस्ती
श्री के. जी. सैयदेन
श्री जे . ए. तारापुरवाला
श्री एम. टी.व्यास
डॉ. ए. एन. बसु
आयोग के उद्देश्य / कार्य क्षेत्र
माध्यमिक शिक्षा का निरिक्षण करना।
शिक्षा में सुधर हेतु सुझाव देना।
आयोग की सिफारिशें
१, उद्देश्य:
नागरिकों को ऐसी शिक्षा मिले जो उनमे अनुकूल भावनाओं , आचरण का विकाश करे।
नागरिकों में राष्ट्रीय एवं धर्म निरपेक्ष दृश्टिकोण उत्पन्न हो सके।
नागरिकों की व्यवसायिक कुशलता में वृद्धि हो सकें।
नागरिकों का सर्वांगिण विकाश कर सकें।
२. माध्यमिक शिक्षा का पुनर्गठन
शिक्षा की अवधी ७ वर्ष (११ से १७ वर्ष ) - ३ वर्ष जूनियर शिक्षा + ४ वर्ष उच्चतर माध्यमिक शिक्षा।
डिग्री कोर्स ३ वर्ष का हो।
ग्रामीण विश्वविद्यालयों में कृषि शिक्षा।
अंधे बधीर और मूक व्यकितियों की शिक्षा का विशेष प्रबन्ध।
लड़कियों के लिए गृह विज्ञानं की शिक्षा।
सरकार उद्दोग पर उद्दोग कर लगाए जिस से धन प्राप्त कर technical शिक्षा में लगाया जाये।
आयोग की सिफारिशें
३. शिक्षा का माध्यम।
४. पाठ्यक्रम।
५. शिक्षण विधियाँ।
आयोग की सिफारिशें
६. पाठ्य पुस्तकें।
७. धार्मिक शिक्षा।
८. चरित्र निर्माण की शिक्षा।
पाठ्यसहगामी क्रियाओं का आयोजन होना चाहिए।
१७ वर्ष तक की आयु के बच्चों को राजनीति से दूर रखना।
NCC, NSS, first AID, आदि की व्यस्था की जानी चाहिए।
आयोग की सिफारिशें
९. मार्गदर्शन और परामर्श।
१०. परीक्षाएं एवं मूल्यांकन।
अध्यापकों की स्थिति सुधार सम्बन्धी
२ तरह की प्रशिक्षण संस्थाएं होनी चाहिए- उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों हेतु (२ वर्ष ) और स्नातक व्यक्तियों हेतु (१ वर्ष)।
छात्र अध्यापकों से शुल्क न लिया जाये व छात्र वृत्ति दी जाये।
अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षण हेतु पूर्ण वेतन व अवकाश मिलना चाहिए।
आयोग की समीक्षा
गुण
शिक्षा व समाज के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास।
बहु उद्देश्य विद्यालयों से शिक्षा को व्याहारिक दिशा प्रदान करना।
अध्यापक राष्ट्र निर्माता होता है, यह मानकर अनेक सुविधाएं देकर महान प्रयास किया जाये।
छात्र वृत्ति दिया जाए और कोई शुल्क न लिया जाये।
दोष
रिपोर्ट में सामुदायिक कुप्रथाओ और बुराइयों का संकेत तक नहीं दिया गया।
जैसे : बाल विवाह, स्त्री शिक्षा
रामअनन्त यादव पर्यवेक्षक डॉ, सुनील कुमार
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